यह विधेयक भारत की कामयाबी की गारंटी है, क्योंकि अगर महिलाएं आगे आती हैं, तो देश को कोई नहीं रोक सकता। मोदी ने दावा किया कि गुजरात में उनके मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा सरकार ने विधायिका में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए लड़ाई शुरू की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जिन्होंने लोकसभा और राज्य विधानसभा में महिलाओं के लिए सीटों को आरक्षित करने से संबंधित विधेयक को दस वर्ष तक लंबित रखा, उन्होंने नारी शक्ति के डर से इसके पक्ष में मतदान किया। गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद हवाई अड्डे पर महिलाओं के एक बड़े समूह को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ दलों ने सवाल उठाकर इस विधेयक का विरोध करना चाहा, लेकिन वे संसद में इसके पक्ष में मतदान करने के लिए मजबूर थे।मोदी ने कहा, जिन्होंने दशकों तक महिला आरक्षण विधेयक को लंबित रखा, उन्हें मजबूरी में संसद के भीतर इसका समर्थन करना पड़ा, क्योंकि वे आपसे (महिलाओं से) डरते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद इतने वर्षों तक भारत की महिलाओं के साथ अन्याय हुआ, क्योंकि विधायिकाओं में आरक्षण के अभाव में उनके हाथ-पैर बंधे हुए थे। मोदी ने कहा, हम आधी आबादी की भागीदारी के बिना विकास का लक्ष्य नहीं प्राप्त कर सकते। पूर्व में ऐसा विधेयक नहीं लाने के लिए राजनीतिक बहाने बनाए जाते थे या फिर पिछली सरकारें कहती थीं कि सब कुछ हासिल करने योग्य नहीं है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि भाजपा ने संसद के दोनों सदनों में विधेयक पारित कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र का आभार जताने को हवाई अड्डे पर अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें हजारों महिलाएं शामिल हुई। मोदी ने कहा कि देश ने उन लोगों को भी देखा है, जिन्होंने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने वाले विधेयक का विरोध किया और किंत, परंतु के साथ कई सवाल उठाएं। प्रधानमंत्री ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ नेताओं ने विधेयक को रोकने के लिए महिलाओं को बांटने की कोशिश भी की।