अनुराग त्रिवेदी
उन्नाव । बेटे अथवा बेटी के विवाह में अगर विशेष सावधानी नहीं रखते हैं तो जीवन भर पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलता है। अगर कुल की परंपरा और अपनी स्थिति को ध्यान में रखकर हम विवाह नहीं करते हैं तो अपने बेटे अथवा बेटी को कभी भी सुख नहीं दे सकते हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो बेमेल शादी का दंश पूरा परिवार झेलता है।
सरस् श्रीराम कथा गायन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात प्रेममूर्ति पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने रामलीला मैदान में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठे दिन व्यासपीठ से कथा प्रसंग के दौरान कही m
श्री रामकथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए सुप्रसिद्ध कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने श्री राम कथा गायन के क्रम में श्री सीताराम विवाह से जुड़े प्रसंगों की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान को तर्क से नहीं जाना जा सकता है। पूज्य महाराज श्री ने कहा कि पैसे वालों का ईमान और भगवान सब कुछ पैसा ही होता है। पैसे के आधार पर खड़ा किया गया कोई भी संबंध स्थाई नहीं हो पाता है। बेटे अथवा बेटी के विवाह के लिए अपनी कुल परंपरा को ध्यान में रखकर ही विवाह करना चाहिए। हम अगर वैष्णव हैं तो वैष्णव परिवार में विवाह करें। शैव अथवा शाक्त हैं तो भी वैसे ही परिवार से वर या वधू ढूंढने का प्रयास करें। तभी अपने पुत्र अथवा पुत्री को सुखी बना सकेंगे उनके संसार में सुख बरसा सकेंगे। पूज्य श्री ने कहा सनातन धर्म और परंपरा में गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने वाले वर-वधू यहीं से अपने जीवन की परमार्थ यात्रा की शुरूआत करते हैं। गृहस्थ आश्रम को सभी चार आश्रम में श्रेष्ठतम बताया गया है। सनातन परंपरा में विवाह संस्कार को समाज का मेरुदंड बताया गया है।
महाराज जी ने कहा कि निरंतर भजन में रहने वाले की कभी मृत्यु नहीं होती है। वह अपनी कीर्ति से कुल परम्परा का निर्माण करते हैं और संसार में अमर हो जाते हैं। इसलिए सामान्य व्यक्ति के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने जीवन के सभी क्रियाओं में संयुक्त रहते हुए भजन में भी प्रवृत्त हों। महाराज जी का सत्कर्म सोचने से नहीं होता है सत्कर्म के लिए सोचने वाले सोचते रह जाते हैं लेकिन करने वाला तुरंत उस कार्य को पूरा कर लेता है।
मनुष्य को अपने जीवन में अपने कर्म को हमेशा धर्म सम्मत रखने की आवश्यकता होती है। जब हमारा कर्म बिगड़ता है तो फिर लाख प्रयास करने के बाद भी हमारी मती गति काल के वश में चली जाती है। पूज्य श्री ने कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में भगवान और भागवतों के साथ नहीं उलझना चाहिए। भगवान तो अपने प्रति किये गए किसी के दोष को क्षमा भी कर देते हैं। लेकिन, अगर उनके भक्तों के साथ किसी तरह का अन्याय होता है तो उसे भगवान कभी भी माफ नहीं करते हैं। यह हमारे विभिन्न सदग्रंथों में ही उदाहरण के साथ वर्णित है। मनुष्य को यह प्रयास करना चाहिए कि उससे कभी भी किसी साधु संत और भगत का अपकार नहीं हो। अगर ऐसा होता है तो परिणाम भी झेलने के लिए तैयार रहना होगा। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का आना निश्चित है एक आता है तो एक चला जाता है। दुख हो या सुख दोनों ही अपने ही कर्मों के अनुसार ही मनुष्य के जीवन में आता है। हमारे शास्त्रों का एक सरल सिद्धांत दिया है भी है कि आदमी को सब कार्य छोड़कर भी भोजन करना चाहिए, हजार कार्य छोड़कर स्नान करना चाहिए और एक लाख कार्य छोड़कर भी दान करना चाहिए। चाहे वह दान थोड़ा ही हो। लेकिन, यह सभी कुछ छोड़ कर के भगवान का भजन करना चाहिए।
पूज्यश्री ने कहा कि मनुष्य अपने अर्थ और संपत्ति का उत्तराधिकारी तो बना जाता है लेकिन अपने परमार्थ पथ का उत्तराधिकारी कोई-कोई ही बना पाता है। सनातन धर्म के सद्ग्रन्थों में बार-बार कहा गया है कि जीवन में अपने श्रेष्ठ की अवहेलना करने वाले खुद ही परिणाम भुगतते हैं।
प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि अपने जीवन काल में ही हमें अपने परमार्थ पथ का उत्तराधिकारी तैयार करने की आवश्यकता है, तभी तो कई पीढ़ियों तक परमार्थ चलता रहता है। कथा कर्म में महाराज श्री ने कई सुमधुर भजनों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। हजारों की संख्या में उपस्थित रामकथा के प्रेमी, भजनों का आनन्द लेते हुए, झूमते नजर आए। कथा के प्रारंभ होने पर व्यास पीठ और अन्य पूजन अध्यक्ष संजय राठी और ममता राठी ने किया । कथा में बरसात होने के बाद भी भारी संख्या में श्रोताओं की भारी भीड़ रही। आज की कथा में महामंत्री अरविंद कुमार श्रीवास्तव कमल, संयोजक चंद्र प्रकाश अवस्थी, मुख्य सेवायत कृष्णप्रिय मोती श्याम, महिला अध्यक्ष आरती यादव, कोषाध्यक्ष जगदीश महेश्वरी, उपाध्यक्ष प्रमोद मिश्रा, युवा अध्यक्ष ललित द्विवेदी ,मीडिया समिति संयोजक मनीष सिंह सेंगर व प्रभारी प्राचीन्द्र मिश्रा, प्रबंधक संजीव गुप्ता राजा, व्यवस्थापक कौशल किशोर यादव, अजय शुक्ला, इंदु प्रकाश अवस्थी, कुसुम राठी, राजकुमार राठी, इंदू राठी, शुभम राठी, ऋषिका राठी, राजेन्द्र सिंह सेंगर, सुनील मिश्रा, अनूप मिश्रा, मनोज यादव, सुशील तिवारी, पुत्तन लाल पाल, राहुल कश्यप, मंजू अवस्थी, शालिनी श्रीवास्तव आदि ने आरती कर आशीर्वाद प्राप्त किया।