समय चक्र टाइम्स
लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता में एवं शिक्षा शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य श्रीमती ऐश्वर्या सिंह के संयोजकत्व में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन “भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” विषय पर आयोजित किया गया।इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री पवन सिंह चौहान ,सदस्य विधानसभा परिषद लखनऊ, विशिष्ट अतिथि डॉक्टर सी एम सिंह निदेशक डॉक्टर राम मनोहर लोहिया संस्थान लखनऊ विशिष्ट अतिथि श्री संतोष सिंह सदस्य विधान परिषद कुलसचिव लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के डॉक्टर विनोद सिंह विशिष्ट अतिथि सम कुलपति प्रोफेसर अरविंद अवस्थी एवं मुख्य वक्ता प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित सेवानिवृत्ति हिंदी विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ विशिष्ट अतिथि विशेष सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश सीपू गिरि लकी गरिमामयी उपस्थिति रहीं ।महाविद्यालय की प्राचार्या के नेतृत्व में कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्जवलन प्रज्वलन एवं सरस्वती मां के प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ प्रारंभ हुआ।
सभी आगत अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह, एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक पौधा देकर किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय ने सभी अतिथियों का वाचिक स्वागत किया।विषय वस्तु संक्षिप्त प्रस्तावना संयोजिका श्रीमती ऐश्वर्या सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया। और उन्होंने बताया कि 400से ज्यादा आनलाइन और इतना ही आफलाइन रजिस्ट्रेशन प्रतिभागियों ने किया है। पवन सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020आगे आने वाले समय में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी क्योंकि इसके पूर्व मैकाले शिक्षा पद्धति में केवल सब क्लर्क ही बनते थे लेकिन अब जीवन कैसे जिया जाए यह आवश्यक हो गया है। मुख्य वक्ता सूर्य प्रकाश दीक्षित ने कहा कि भारतीय शिक्षा का उद्देश्य है या विद्या सा विमुक्तये अर्थात संकीर्णताओं से मुक्ति जो ज्ञान का प्रकाश करती हैं अज्ञानता को दूर करती है वह शिक्षा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पांच तत्वों पर भी प्रकाश डाला।
तैत्तिरीय उपनिषद के पंचकोशों का उल्लेख करते हुए जीवन मूल्यों पर बहुत जोर दिया उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा बहुत ही समृद्ध रही है चाहे वैदिक गणित,ज्योतिष , दर्शन आदि कोई भी क्षेत्र रहा हो। ज्ञान विज्ञान का चिंतन आत्म तत्व को पहचाना यह हमारे उन्होंने कहा कि सारा ज्ञान अपनी अपनी मातृभाषा में होना चाहिए भाषा अबोध ना बन जाए व्यवहारिक शिक्षा को ज्यादा बढ़ावा देना चाहिए यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है। डा सी एम सिंह ने कहा कि ज्ञान में हम सदैव विश्व गुरु रहे हैं गुलामी के कारण हम अपने पुरातन ज्ञान पद्धति को पीछे छोड़ दिए और आधुनिकता के दौड़ में शामिल हो गए। विशिष्ट अतिथि माननीय संतोष सिंह ने कहा कि पहले कहीं विश्व विद्यालय नहीं थे लेकिन हमारे यहां तक्षशिला नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे हमारे यहां शिक्षा का केंद्र गुरुकुल हुआ करता था जिसमें जीवन जीने की कला भी सिखाई जाती थी और युद्ध कला में प्रवीण भी बनाए जाते थे मुस्लिम आक्रमणकारियों ने केवल मंदिरों पर और हमारे आस्था पर ही हमला नहीं किया था बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत पर भी हमला किया था इस सबके बावजूद भी हमारी ज्ञान परंपरा अक्षुण्ण बची रही।
इस सत्र में सेमिनार स्मारिका का भी विमोचन किया गया। इस सेमिनार के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय विज्ञान सूचना एवं पुस्तकालय विभाग की प्रोफेसर शिल्पी वर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर प्रकाश डाला। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सी पू गिरि ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अन्तर्विषयक शिक्षा, शोध पद्धति , उपादेयता पर प्रकाश डाला। राज्य सूचना आयुक्त श्री दिलीप कुमार अग्निहोत्री ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् हमारी ज्ञान परंपरा है इसलिए चरित्र निर्माण,व्यक्तित्व विकास, राष्ट्रीय भावना आदि को इस नीति में शामिल किया गया है।
शिक्षा शास्त्र विभाग बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजशरण साही ने कहा कि भारतीय मूल्यों भारतीय प्रतीकों की पुनर्स्थापना के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, विभिन्न विद्यापीठों आदि की स्थापना हुयी। इस अवसर पर अन्तर्राष्ट्रीय वक्ता अमेरिका से प्रोफेसर सत्यनारायण डिपार्टमेंट आफ एनाटोमी एंड सेल बायोलॉजी युनिवर्सिटी आॅफ फ्लोरिडा द्वारा मानव भ्रूण विकास वैदिक एवं आधुनिक विज्ञान विषय पर आनलाइन व्याख्यान दिया। इनके प्रस्तुतीकरण से पता चला की वैदिक ज्ञान विज्ञान पुरातन काल में अपने उच्चतम शिखर पर था जो आज भी है और कल भी रहेगा ।हमारे ऋषियों को प्रकृति मे घटित क्रियाओं का सूक्ष्म से सूक्ष्मतर ज्ञान था आज हम विज्ञानी है परन्तु हमारे ऋषि-मुनि परा वैज्ञानिक थे। डॉ सत्यनारायण ने इस तथ्य की पुष्टि श्रीमद्भागवत महापुराण में श्री कपिल मुनि द्वारा वर्णित भ्रूण विज्ञान को अपने व्याख्यान में उल्लेखित किया। आफलाईन और आनलाईन दोनों तरह के सत्र चलायें गये प्रथम दिन आफलाईन तीन सत्रों में 175 पेपर और आनलाईन के दो तकनिकी सत्रों में 130 शोध-पत्रों का वाचन किया गया।इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्रवक्ता गण एवं आयोजन समिति के सभी सदस्य, विभिन्न समितियों के सदस्य,शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय के डॉक्टर प्रवीण मिश्र,ऋषभ कात्यायन, डॉ इन्द्रेश शुक्ला, हेमन्त कुमार उपाध्याय, प्रोफेसर निधि सिद्धार्थ, प्रोफेसर माधुरी यादव विभिन्न विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों के प्रतिभागी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन एसोसिएट प्रोफेसर समाजशास्त्र विभाग की डॉ विनीता सिंह एवं असिस्टेंट प्रोफेसर हिन्दी विभाग की डॉ अंकिता पांडे द्वारा किया गया।