लखनऊ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को सम्मान और अपमान दोनो मिलता है। इसलिए उसे अपनी आलोचना और प्रशंसा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। इस क्षेत्र में समर्पण भाव से काम करने के साथ ही बहुत धैर्य की जरूरत होती है। विधायकों के साथ क्षेत्रवार चल रहे संवाद कार्यक्रम के तहत आज बुंदेलखण्ड के विधायकों से सतीश महाना ने कहा कि एक विधायक पूरे क्षेत्र का विधायक होता है। जनता को इस बात से कोई लेना देना नहीं होता है कि उनका विधायक सत्ता पक्ष का है अथवा विपक्ष का है। वह बस अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान चाहती है। उन्होंने कहा कि जहां तक जनसमस्याओं की बात है, वह कभी खत्म नहीं होती है, यह अनवरत बनी रहती हैं। इसलिए जनसमस्याओं का समाधान करने का प्रयास हमेशा करते रहने चाहिए।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मैने पांच बार विपक्ष में रहकर चुनाव जीता है क्योंकि क्षेत्र की जनता को ये अहसास होता रहा कि उसके काम के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। एक विधायक, परिस्थितियों के अनुकूल, जो स्वंय को ढाल लेता है, वह जनता में लोकप्रिय हो जाता है। उन्होंने कहा कि अपनी पहचान बनाने के लिए सदन से बडा कोई फोरम नहीं होता है। इसलिए आगामी बजट सत्र में विधानसभा सदस्य अपनी विशिष्टता साबित करने का प्रयास करें। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डे ने कहा कि विधायिका की भी एक सीमा निर्धारित है, फिर भी जितना संभव है, उससे बेहतर कार्य हो रहे हैं। इस संवाद कार्यक्रम में अनुपमा जायसवाल, विकास गुप्ता, बाबूराम पासवान, विनोद शंकर अवस्थी, विशम्भर सिंह यादव, मनीषा अनुरागी, लोकेन्द्र प्रताप सिंह, मूलचंद्र निरंजन, कैलाश नाथ शुक्ला, राकेश गोस्वामी, रामरतन कुशवाहा, साईदा खातून, कृष्णा पासवान, मनोज कुमार प्रजापति आदि ने भी अपने विचार रखे।