नई दिल्ली। दक्षिण भारत के कई राज्यों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की छापेमारी में ‘आतंक’ की पाठशाला को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। वैश्विक आतंकी संगठन, आईएसआईएस-प्रेरित भर्ती अभियान को विफल करने के लिए जांच एजेंसी ने तमिलनाडु और तेलंगाना में 31 स्थानों पर छापेमारी की है। छापों के दौरान जो भी आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है, उससे मालूम पड़ता है कि आईएसआईएस, भारत में भोले-भाले युवाओं को गुमराह कर उन्हें कट्टरपंथ के रास्ते पर लाने की कोशिश कर रहा है। युवाओं की भर्ती के लिए नए-नए तरीके खोजे जा रहे हैं। इसके लिए विभिन्न शहरों में स्टडी सेंटर खोले गए हैं। वहां पर ‘अरबी’ सिखाने की आड़ में ‘आईएसआईएस’ आतंकी की पाठशाला चलती है। इन पाठशालाओं में ‘खिलाफत’ विचारधारा का प्रचार-प्रसार हो रहा था। बाद में इन्हीं पाठशालाओं से निकले युवा, आतंक के रास्ते पर चलते हैं। वे भारत की एकता और अखंडता को तोड़ने की कोशिश करते हैं।
एनआईए के मुताबिक, आईएसआईएस के भर्ती अभियान और उसकी भावी प्लानिंग के मद्देनजर, शनिवार को तमिलनाडु व तेलंगाना में 31 स्थानों पर रेड की गई है। छापेमारी में भारतीय और विदेशी मुद्रा के साथ-साथ कई डिजिटल उपकरण और दस्तावेज जब्त किए गए हैं। आतंकवाद रोधी एजेंसी ने तमिलनाडु और तेलंगाना में मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्ड डिस्क बरामद की है। इसमें मौजूद डाटा की जांच की जा रही है। तलाशी के दौरान भारतीय मुद्रा में 60 लाख रुपये और 18,200 अमेरिकी डॉलर के अलावा स्थानीय और अरबी भाषाओं में कई आपत्तिजनक किताबें भी जब्त की गईं हैं। यह छापेमारी टीएन आईएसआईएस कट्टरपंथ और भर्ती मामले (आरसी-01/2023/एनआईए/सीएचई) में शामिल संदिग्धों के परिसरों पर की गई है। कोयंबटूर में 22 स्थानों, चेन्नई में तीन और तमिलनाडु के तेनकासी जिले के कदैयानल्लूर में एक स्थान पर छापेमारी की गई है। अन्य पांच स्थानों पर तेलंगाना राज्य के हैदराबाद/साइबराबाद में छापे मारे गए हैं। एनआईए चेन्नई द्वारा आईपीसी की धारा 120बी, 121ए और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 13, 18, 18बी के तहत दर्ज मामले के तहत यह कार्रवाई हुई है।जांच एजेंसी को पता चला था कि भोले-भाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए गुप्त रूप से कई लोगों का एक समूह काम कर रहा है। इसके लिए विभिन्न शहरों में क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र खोले गए हैं। वहां पर अरबी भाषा की कक्षाएं आयोजित करने की बात कही जाती है। हालांकि जांच में मालूम पड़ा कि अरबी की आड़ में वहां पर कट्टरपंथ को अंजाम दिया जा रहा था। इस तरह की कट्टरपंथी गतिविधियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे व्हाट्सएप पर भी चल रही थी। इसके अलावा टेलीग्राम मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से आॅनलाइन तरीके से भी कट्टरपंथ को आगे बढ़ाया जा रहा था। एनआईए की जांच से पता चला है कि आईएसआईएस से प्रेरित एजेंट उकसाने वाली खिलाफत विचारधारा के प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे। यह विचारधारा भारत की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के संवैधानिक रूप से स्थापित सिद्धांतों के लिए हानिकारक है। मामले में शामिल व्यक्तियों के समूह ने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की साजिश रची थी।