वर्तमान में जिन देशों की सरकार में विधाई और कार्यकारी शाखों में अधिक महिलाएं हैं, वहां रक्षा खर्च कम और सामाजिक खर्च अधिक होता
लखनऊ। नारी शक्ति बंदन अधिनियम से महिलाओं को केवल सशक्त बनाने की ही नहीं, बल्कि इससे उनके उज्जवल व अधिक न्याय संगत भविष्य की कल्पना की जा सकती है। अब राजनीतिक क्षेत्र में भी वे नई ऊंचाई प्राप्त कर सकती हैं।
यह अधिनियम पारित होते ही ऐसा महसूस हो रहा है, जैसे महिलाओं की राह में पारंपरिक वेडियो पर जोरदार प्रहार हुआ है। पहले समाज में धारणा थी कि वे सब कर सकती है, पर नीत नियंता बनकर देश चलाना उनके बस में नहीं, इन धारणाओं को तोड़ने में अब बहुत मदद मिलेगी। एक शिक्षा विद होने के नाते मैं स्वयं महसूस करती हूं कि जब हम समान स्तर पर होते हैं तो इसका प्रभाव देश व समाज की तरक्की से सीधा जुड़ता है। जब महिलाएं मंत्रिमंडल में और संसद में प्रमुख भागीदारी निभाती हैं तो वह ऐसे कानून और नीतियां पारित करती हैं, जो आम लोगों के सर्वोच्च हित में नहीं है, बल्कि देश और पर्यावरण की बेहतरी के लिए भी होते हैं। वर्तमान में जिन देशों की सरकार में विधाई और कार्यकारी शाखों में अधिक महिलाएं हैं, वहां रक्षा खर्च कम और सामाजिक खर्च अधिक होता है।
नारी शक्ति बंदन अधिनियम के माध्यम से प्रमुख निर्णय लेने वाले पदों पर महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के बाद अब बहू पक्षी एजेंट को भी आकर मिलेगा व सार्थक क्रियान्वयन हो सकेगा। इससे एक सशक्त संदेश मिला है कि कोई भी क्षेत्र हो, महिलाएं कितना महत्व रखती हैं। इसके पूर्ण रूप से लागू होने में थोड़ा समय अवश्य लगेगा, पर इसका अलग-अलग लाभ है और तब तक देश भर में महिला नेतृत्व की अच्छी तरह पहचान हो जाएगी और उनके कौशल को और अधिक निखाराजा सकेगा। ताकि समय आने पर वह सत्ता के द्वारा तक पूरे दमखम के साथ पहुंचे और एक नए परिवर्तनकारी समाज व देश का निर्माण कर सकें। इस अधिनियम के लागू होने से समाज में एक लहर पैदा होगी। ग्रामीण महिलाएं भी राजनीति के बारे में सुनी सुनी बातों से नहीं बल्कि अपनी समझ व गहन अनुभवों से ठोक बजाकर अपनी भूमिका की पहचान कर सकेंगी।
इससे लैंगिक भेदभाव की खाई को पाटना आसान होगा। साथ ही महिलाओं को स्वयं की शक्ति पर भरोसा और बढ़ेगा। हालाकि उन्हें किसी पहचान की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह सब पहले ही साबित कर चुकी है कि उनके नेतृत्व में जब विकास प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो वह कितनी सफल रहती हैं। पिछले डेढ़ दशक में कई महिला केंद्रित योजनाएं बनी हैं, जिनका प्रणाम सकारात्मक रहा है। पर यह अधिनियम महिलाओं को एक नया ताज पहनाता है। जिस पर उनका पूर्ण अधिकार है। वे सशक्त हैं और अपने दम पर बड़े क्रांतिकारी बदलाव कर सकती हैं और कर रही हैं। जब देश की आधी आबादी राजनीति में अपने बराबर की दावेदारी प्रस्तुत करेगी तो एक अलग परिदृश्य बनेगा और सही मायने में शिक्षा, समाज, समाज, सुरक्षा, आत्मनिर्भरता जैसे मुद्दों का समाधान हो सकेगा।