लखनऊ। सूबे में सत्तासीन योगी सरकार के सात वर्ष के कार्यकाल में आठ भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक हुए। युवाओं से जुड़े इस मामले को कांग्रेस चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पार्टी जिला स्तर पर आकड़ा एकत्र कर इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले युवाओं से सम्पर्क करने की योजना बना रही है। साथ ही पार्टी ने चुनाव के ऐन वक्त मुख्य चुनाव आयुक्त के इस्तीफा पर सरकार से जवाब मांगा है। जिन युवाओं ने भाजपा को जिता कर सत्ता के सिखर तक पहुंचा रहे है भाजपा उन्हीं को अब धोखा दे रही है। मसलन प्रदेश की योगी सरकार के सात साल के कार्यकाल में आठ भर्ती परीक्षाएं रद्द हो चुकी है। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष प्रज्ञा सिंह ने बताया कि एनसीआरबी आंकड़े के अनुसार, भारत के बेरोजगार युवा अब हताश होकर आत्महत्या करने लगे हैं। तीन साल में करीब 35 हजार छात्रों ने खुदकुशी कर ली है। सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूर अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सिर्फ एक परीक्षा हो तो रोकर भी अपना दर्द बयां कर लिया जाये। यहां तो पेपर लीक की कहानी का फलसफा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 सालों में भारत के 15 राज्यों में पेपर लीक के मामले समाने आए हैं। करीबन 41 नौकरी भर्ती परीक्षाओं में परीक्षा से पहले पेपर लीक हो गया था। यूपी में पहले भी कई बार पेपर लीक हुए। मसलन जुलाई 2017, दरोगा भर्ती परीक्षा, फरवरी 2018, यूपीपीसीएल परीक्षा, जुलाई 2018, यूपीएसएस एससी, सितंबर 2018, नलकूप आॅपरेटर भर्ती, अगस्त 2021, बीएड, नवंबर 2021, यूपीटीईटी, मार्च, 2022 यूपी बोर्ड परीक्षा, 30 मार्च 2022 को 12वीं बोर्ड परीक्षा आदि खासे चर्चा में रहे। कांग्रेस नेत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस पर चर्चा नहीं कर रहे। क्या ये परीक्षा पर चर्चा से ज्यादा अहम विषय नहीं है। सरकार को लगता है कि वह जीत रही है मतलब सब आल इज वेल है, लेकिन ऐसा है नहीं, युवा घुट रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार, गत आठ वर्ष में मात्र 7.22 लाख नौकरी दे सकी है, जबकि आवेदकों की संख्या 22 करोड़ से भी ज्यादा थी। प्रज्ञा सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा संदिग्ध दिखाई देता है। क्या उन्होंने इसलिए इस्तीफा दे दिया है क्योंकि उन्हें संदेह था कि चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से नहीं कर पाएंगे। क्या उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाई इसलिए उन्हें जाने के लिए कह दिया गया इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए। क्योंकि यह लोकतंत्र का सवाल है जिससे हर किसी को जानने का अधिकार है।