नई दिल्ली। पांडे ने कहा कि सेना ने आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करके कई आधुनिक हथियार और प्रणालियां खरीदी हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास अन्य एजेंसियों के साथ साझेदारी में सीमा बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने का होगा। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने सोमवार को कहा कि भारतीय सेना देश की उत्तरी सीमाओं पर किसी भी स्थिति से निपट सकती है। जम्मू-कश्मीर के राजौरी-पुंछ सेक्टर में आतंकवादी गतिविधियों में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है। पांडे ने लखनऊ में सेना दिवस परेड की समीक्षा के बाद अपने संबोधन में कहा कि सेना उत्तरी सीमा (चीन के साथ) पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार और सक्षम है। हमने उन क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को विकसित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। भारत और चीन मई 2020 से सैन्य गतिरोध में बंद हैं और चल रही बातचीत के माध्यम से सीमा संकट का पूर्ण समाधान अभी भी मायावी प्रतीत होता है। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) से चार दौर की वापसी के बावजूद, भारतीय और चीनी सेनाओं के पास अभी भी लद्दाख क्षेत्र में हजारों सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं। पांडे ने कहा कि सेना ने आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करके कई आधुनिक हथियार और प्रणालियां खरीदी हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास अन्य एजेंसियों के साथ साझेदारी में सीमा बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने का होगा। भारत और चीन की सेनाएं कई दौर की बातचीत कर चुकी हैं, लेकिन देपसांग और डेमचोक की समस्याएं अभी भी बातचीत की मेज पर हैं।