नई दिल्ली। पीएम मोदी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब डीपफेक को लेकर चर्चा लगातार जारी है। इसमें शामिल है कि कैसे डीपफेक मौजूदा विधानसभा चुनावों में चुनावी लोकतंत्र की अखंडता के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा कर रहे हैं, जिससे नकली और असली क्लिप के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डीप फेक सबसे बड़े खतरों में से एक है जिसका भारत की प्रणाली इस समय सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे समाज में अराजकता पैदा हो सकती है। प्रधानमंत्री ने मीडिया से भी लोगों को बढ़ती समस्या के बारे में शिक्षित करने का आग्रह किया। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में भाजपा के दिवाली मिलन कार्यक्रम में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि जब डीपफेक के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता के दुरुपयोग की बात आती है तो नागरिकों और मीडिया दोनों को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। पीएम मोदी की यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब डीपफेक को लेकर चर्चा लगातार जारी है। इसमें शामिल है कि कैसे डीपफेक मौजूदा विधानसभा चुनावों में चुनावी लोकतंत्र की अखंडता के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा कर रहे हैं, जिससे नकली और असली क्लिप के बीच अंतर करना मुश्किल हो गया है। डीप डाइव ने राजनेताओं को निशाना बनाने वाली छेड़छाड़ की गई छवियों, नकली वीडियो क्लिप और कृत्रिम वॉयसओवर जैसे डीपफेक के खतरों पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि ये महज बयानबाजी नहीं है बल्कि जमीनी हकीकत है। उन्होंने कहा कि वोकल फॉर लोकल को लोगों का समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के वक्त भारत की उपलब्धियों ने लोगों में यह विश्वास पैदा किया।
कि अब देश रुकने वाला नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि छठ पूजा राष्ट्रीय पर्व बन गया है जो बेहद प्रसन्नता की बात है।
ये 2 शब्दों डीप लर्निंग और फेक के मेल से बनता है। डीप लर्निंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक हिस्सा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को सरल शब्दों में समझें तो ऐसी टेक्नोलॉजी जो खुद काम कर सकती है। यानी अपनी खुद की अक्ल लगाकर। जैसे आप गूगल अस्टिटेंट से कह दें कि म्यूजिक बजाओ। उसमें आपको खुद उठकर म्यूजिक नहीं प्ले करना पड़ता है। इंसानी दिमाग के जितना करीब हो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उतनी ही बेहतर मानी जाएगी। डीप फेक ह्यूमन इमेज सिंथेसिस नाम की टेक्नोलॉजी पर काम करता है। जैसे हम किसी भी चीज की फोटोकॉपी कर लेते हैं वैसे ही ये टेक्नोलॉजी चलती फिरती चीजों की कॉपी कर सकती है। यानी स्क्रीन पर आप एक इंसान चलते, फिरते, बोलते देख सकते हैं पर वो नकली होगा। इस टेक्नोलॉजी की नींव पर बनी एप्स बेहद नुकसान पहुंचा सकती है। इससे किसी व्यक्ति के चेहरे पर दूसरे का चेहरा लगाया जा सकता है। वो भी इतनी सफाई और बारिकी से कि नीचे वाले चेहरे के सभी हाव भाव ऊपर वाले चेहरे पर दिख सकते हैं। ये उसी तरह है जैसे एकता कपूर के सिरीयल में प्लास्टिक सर्जरी से पुराने चेहरे को नया बना दिया जाता था। फिर लोगों को लगता था कि सारे काम वो व्यक्ति कर रहा है जो ऊपर दिख रहा है।