समाजवादी पार्टी में चाचा कहे जाने वाले चाणक्य शिवपाल सिंह अब पूरे जोरों से सक्रिय हो गये हैं। पार्टी को इससे नयी ऊर्जा मिली है। कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है। इसका पहला सुफल घोसी उप चुनाव में सामने आया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने घोसी में जिस तरह की पेशबंदी की थी उसमें समाजवादी पार्टी के लिये स्थितियां चुनौतीपूर्ण बन गयीं थीं। मंत्रियों की पूरी फौज एक विधानसभा क्षेत्र में उतार दी गयी थी। व्यूह रचना इतनी सघन थी कि एक मंत्री को एक शक्ति केंद्र सुपुर्द करके जमीनी स्तर पर जबर्दस्त कसावट के साथ सत्तारूढ़ पार्टी जोर आजमाइश कर रही थी। लेकिन शिवपाल सिंह के आगे उसकी एक नहीं चली। अखिलेश ने भी चाचा पर पूरा भरोसा कायम रखा और उन्हें चुनावी तानाबाना बुनने की पूरी स्वतंत्रता दी। समाजवादी पार्टी में उत्तराधिकार की लड़ाई के समय अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह के संबंधों में जो खाई निर्मित हो गयी थी उसे अब पूरी तरह पाट दिया गया है। शिवपाल सिंह ने अपने को भतीजे अखिलेश यादव के लिये समर्पित कर दिया है तो अखिलेश भी उनके प्रति अपने दुराव को एकदम खत्म कर चुके हैं। दरबारी उठापटक का लाभ उठाने वाले शकुनि समाजवादी पार्टी में आप्रासंगिक हो चुके हैं और इससे पार्टी का माहौल एकदम बदल गया है।
अखिलेश चाचा शिवपाल यादव के संगठनात्मक कौशल से बखूबी परिचित हैं। अब जबकि चाचा से उन्हें कोई खतरा नहीं रह गया तो वे चाचा की क्षमताओं का पूरा लाभ उठाने के लिये सजग हैं और शिवपाल भी भतीजे के लिये कुछ भी करने में कसर नहीं छोड़ रहे। इस कारण अखिलेश यादव अब बड़ी राजनीति करने के लिये फ्री हो गये हैं। नेता जी जब जीवित थे उस समय उन्हें अखिलेश से बड़ी शिकायत रहती थी कि अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार का जो क्रम उन्होंने शुरू किया था उसे बनाये रखने में अखिलेश कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे। लेकिन तब माहौल कुछ और था। अखिलेश अंदरूनी खींचतान से ही नही उबर पा रहे थे ऐसे में उत्तर प्रदेश के अलावा कहीं और ऊर्जा लगाने में उन्हें घर और घाट दोनों छिन जाने का खतरा सताता था। पर अब जबकि चाचा ने उत्तर प्रदेश में बहुत कुछ संभाल लिया है तो पार्टी को राष्ट्रीय बनाने के लिये उन्होंने अन्य राज्यों में हाथ पैर फैलाने शुरू कर दिये हैं। उधर उत्तर प्रदेश में चाचा शिवपाल यादव के पूरे मनोयोग से किये जा रहे प्रयासों के चलते अखिलेश नयी मजबूती से भर चुके हैं। मैनपुरी लोकसभा उप चुनाव की जीत में भी शिवपाल यादव का विशेष योगदान था और घोसी में भी उनकी खूबियां रंग लायीं हैं। इसके बाद हो सकता है कि अखिलेश लोकसभा चुनाव के समय उम्मीदवार तय करने में चाचा शिवपाल के चयन को वरीयता दें। समाजवादी पार्टी के आम कार्यकर्ताओं में चाचा भतीजे की इस एकजुटता से भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।