लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर लखनऊ के संस्कृत विभाग एवं संस्कृत विभाग जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर राजस्थान तथा चतुर्वेद संस्कृत प्रचार संस्थान काशी उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में एकादशी निमित्तक श्रीमद् भागवत गीता राष्ट्रीय व्याख्यान गोष्ठी अष्टादश पर्याय का पाक्षिकी आयोजन सन्त गणिनाथ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मोहम्मदाबाद गोहना के संस्कृत विभाग के सहायक आचार्य डॉ चंद्रकान्त शुक्ल के संयोजकत्व में आनलाइन किया गया। सर्वप्रथम कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री सत्यम कुमार तिवारी वाराणसी के द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया, स्वागत भाषण समन्वयक ,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के संस्कृत विभाग के प्रोफेसर मंगलाराम के द्वारा किया गया।
गीता श्लोक पाठ कुमारी आयु पौडेल देहरादून के द्वारा प्रस्तुत किया गया इस गोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक भाषा साहित्य भावनम गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के प्रोफेसर बसंत कुमार मनु भट्ट जी रहे मुख्य वक्ता का व्यक्तित्व परिचय प्रोफेसर रीता तिवारी के द्वारा दिया गया। मुख्य वक्ता ने भगवत गीता में कर्म बंधन के अभाव की युक्ति विषय पर अपना व्याख्यान दियागया।
अपने उद्बोधन में कहा कि गीता मुग्धा और यौवना अवस्था के बीच की स्थिति में सीखने की चीज है गीताके अनुसार जो कर्म निष्काम भाव से ईश्वर के लिए किए जाते हैं वे बंधन नहीं उत्पन्न करते वे मोक्ष रूप परम पद की प्राप्ति में सहायक होते है। विशिष्ट वक्ता के रूप में संकाय अध्यक्षचर प्राच्य विद्याधर्मविज्ञान संकाय काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के प्रोफेसर बिंदेश्वरी प्रसाद मिश्र विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
विशिष्ट वक्ता का व्यक्तित्व परिचय प्रोफेसर यादराम द्वारा किया गया प्रोफेसर मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि संयम और ऊर्जा का केंद्र गीता है। श्रीमद्भगवत गीता का महत्व सम्पूर्ण मानव लोक के लिए प्रासंगिक है इसमें श्री कृष्ण अर्जुन के माध्यम से सम्पूर्ण मानव समाज को कर्म करने की शिक्षा देते हैं इस महाग्रंथ के अन्दर ही ज्ञान कर्म समुच्चय तथा भक्ति ज्ञान समुच्चय, कर्मयोग,हठयोग, भक्ति योग जैसे विभिन्न आयामों की चर्चा की गई है इस गोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर सरोज कौशल पूर्व विभागाध्यक्ष संस्कृत जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर द्वारा किया गया। सभाध्यक्षा का व्यक्तित्व परिचय व्याख्यान गोष्ठी की संयुक्त संयोजिका सह आचार्य संस्कृत विभाग नवयुग कन्या महाविद्यालय लखनऊ की डॉ वन्दना द्विवेदी द्वारा दिया गया प्रोफेसर सरोज कौशल ने कहा कि- जीवन का मार्ग भगवद्गीता है, गीता जीवन का सार है इसमें जीना हम मनुष्यों का अभिमान है यह गीता जीवन की आधारशिला बनकर लोगों के जीवन को आसान बनाया है।
गोष्ठी के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली के सहायक आचार्य डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी के द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा शान्ति पाठ ,संचालन तथा संयोजन डॉ चन्द्र कान्त शुक्ल द्वारा किया गया। इस अवसर पर नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय, प्रोफेसर ऋचा शुक्ला, प्रोफेसर सीमा सरकार, डॉ गीताली रस्तोगी, प्रोफेसर संगीता शुक्ला , डॉ मेघना यादव आदि का विशेष सानिध्य आनलाइन बना रहा।