मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से लेकर भविष्य की तकनीक तक को संतुलित तरीके से महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए देश के शिक्षा जगत के सभी महानुभावों ने बहुत मेहनत की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के 3 साल पूरे होने के अवसर पर अखिल भारतीय शिक्षा सम्मेलन का उद्घाटन प्रगति मैदान के भारत मंडपम में किया। नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहे। इस दौरान नरेंद्र मोदी ने ‘पीएम श्री योजना’ के तहत स्कूलों के लिए धनराशि की पहली किस्त जारी की। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा ही है जो देश का भाग्य बदलने की ताकत रखती है। देश जिस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है उसमें शिक्षा की अहम भूमिका है। आप इसके प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय शिक्षा समागम का हिस्सा बनना मेरे लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है। मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने पारंपरिक ज्ञान प्रणाली से लेकर भविष्य की तकनीक तक को संतुलित तरीके से महत्व दिया है। उन्होंने कहा कि रिसर्च इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए देश के शिक्षा जगत के सभी महानुभावों ने बहुत मेहनत की है। हमारे छात्र नई व्यवस्थाओं से भली-भांति परिचित हैं, वे जानते हैं कि 10+2 शिक्षा प्रणाली की जगह अब 5+3+3+4 लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि काशी के रुद्राक्ष से लेकर आधुनिक भारत के इस मंडप तक अखिल भारतीय शिक्षा समागम की यात्रा अपने आप में एक संदेश समेटे हुए है। यह प्राचीनता और आधुनिकता का संगम है। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली भारत की परंपराओं को संरक्षित कर रही है, वहीं देश आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी आगे बढ़ रहा है। मोदी ने कहा कि दुनिया भारत को नयी संभावनाओं की नर्सरी के रूप में देख रही है, कई देश अपने यहां आईआईटी परिसर खोलने के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं।
मूल भाषा पर देना होगा जोर
अपने भाषण में मोदी ने कहा कि युवाओं को उनकी प्रतिभा के बजाय उनकी भाषा के आधार पर आंकना उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है। उन्होंने कहा कि दुनिया में अलग-अलग भाषाएं हैं और सभी का अपना-अपना महत्व है। अधिकांश विकसित देश इसी आधार पर आगे बढ़े हैं उनकी मूल भाषा के आधार पर। इतनी सारी मूल भाषाएँ होने के बावजूद हमने उन्हें पिछड़े के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्राथमिकता है कि भारत के हर युवा को समान शिक्षा मिले, शिक्षा के समान अवसर मिले। समान शिक्षा का मतलब है -शिक्षा के साथ-साथ संसाधनों तक समान पहुंच। – हर बच्चे की समझ और चॉइस के हिसाब से उसे विकल्पों का मिलना। – स्थान, वर्ग, क्षेत्र के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें। इसलिए ठएढ का विजन और देश का प्रयास ये है कि गावं, शहर, अमीर, गरीब हर वर्ग के युवाओं को एक जैसा अवसर मिले।
नई पीढ़ी का निर्माण करना होगा
मोदी ने कहा कि इस ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ में अगले 25 साल बहुत महत्व रखते हैं। इन आगामी वर्षों के दौरान, हमें ऊर्जा और जोश से भरी युवाओं की एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना होगा, एक ऐसी पीढ़ी जो दासता के मनोविज्ञान से मुक्त हो, एक ऐसी पीढ़ी जो नए से नए आविष्कारों के लिए उत्सुक हो, एक ऐसी पीढ़ी हो जो हर क्षेत्र में भारत को गौरवान्वित करे। उन्होंने कहा कि विज्ञान से लेकर खेल तक, एक ऐसी पीढ़ी जिसमें 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझने की क्षमता हो और जिसमें कर्तव्य और जिम्मेदारी का पूरा एहसास हो। इसमें हमारी नई शिक्षा नीति की बहुत बड़ी भूमिका है। गौरतलब है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दुनिया में कई पैमाने हैं। लेकिन भारत के संदर्भ में हमारा सबसे बड़ा पैरामीटर समानता है!