सोमवार को भारत का शेयर बाजार जिस तरह धड़ाम हुआ उससे इसकी तुलना 1987 के ब्लैक मंडे से की जा रही है जब एक ही दिन में शेयर बाजार बाइस फीसदी गिरा था हालांकि उसके पहले कुछ ही महीनों में बाजार पैंतालिस प्रतिशत तक ठीक वैसे ही बढ़ता चला गया गया था जैसा पिछले साल चुनाव के ठीक बाद भारतीय बाजार रैली पर रैली करता जा रहा था।
ट्रंप टैरिफ का ऐलान 2 अप्रैल को हुआ था और उसी समय वायदा कारोबार में इसके प्रभाव दिखने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन तीन चार दिनों तक भारतीय शेयर बाजार पर इसका कुछ ज्यादा प्रभाव देखने में नहीं आया।
यह अनुमान तो लगाया जा रहा था कि इसका दुष्परिणाम जल्दी ही कई ऐसे दिन देखने को मिलेगा जब इसकी उम्मीद कम होगी।
भारत पर इसके प्रभाव को समझने के लिए, हमें पहले यह जानना होगा कि ट्रंप टैरिफ क्या है और यह कैसे काम करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नए टैरिफ नीति की घोषणा की, जिसमें उन्होंने विभिन्न देशों से आयात पर शुल्क लगाने का फैसला किया है, जिसमें भारत पर 26 प्रतिशत आयात शुल्क आरोपित किया गया है जिसे उन्होंने 26% जवाबी टैरिफ की संज्ञा से संबोधित किया है।
इसका मोटा अनुमान यह लगाया गया है भारत द्वारा अमेरिका पर 52% टैरिफ लगाया जाता है इसलिए अमेरिका ने भी 26 प्रतिशत जवाबी टैरिफ लगा दिया है।
देश के वाणिज्य मंत्रालय का हालांकि यह कहना है कि यह टैरिफ भारत के लिए एक झटका नहीं है, बल्कि मिश्रित परिणाम है। मंत्रालय ने कहा कि वे इन शुल्कों के प्रभाव का विश्लेषण कर रहे हैं।
इस टैरिफ के ऐलान के बाद भारत अपने कृषि निर्यात को यथावत बनाए रखने के साथ साथ बढ़ा भी सकता है, क्योंकि कृषि निर्यात के प्रतिस्पर्धी देशों को और अधिक शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
देश से उत्पादों का निर्यात करने वाले संगठनों के महासंघ फियो का मानना है कि 26% अमेरिकी टैरिफ घरेलू कंपनियों को प्रभावित करेगा, लेकिन भारत कई अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है इसलिए बातचीत के कुछ बेहतर परिणाम आने पर भारतीय शेयर बाजार में पुनः वैसी ही रैली दिखने के भी आसार बलवती हैं।
2023-24 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर था अब देखने वाली बात यह होगी कि आगामी वर्ष में यह व्यापार अधिशेष क्या दिशा अपनाता है। हालांकि अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लागू करने में दवा कंपनियों और सेमी कंडक्टर क्षेत्र को इस चालाकी के साथ मुक्त रखा है कि अमेरिका को सस्ती दवाइयां और सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के लिए कच्चे माल का आयात निर्बाध रूप से होता रहे।
इस प्रकार भारत पर ट्रंप टैरिफ के प्रभाव मिश्रित हो सकते हैं। जहां यह घरेलू कंपनियों को प्रभावित कर सकता है, वहीं यह कृषि निर्यात को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकता है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, जिससे इन शुल्कों के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है फिलहाल बीता सोमवार भारतीय शेयर बाजार का ब्लैक मंडे या खूनी सोमवार तो सिद्ध हो ही चुका है जिसने कोविड काल की याद को ताजा कर दिया है।