बंगलुरू। चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर चांद के चक्कर लगा रहा है। इसरो ने ट्वीट कर बताया कि चंद्रयान-3 का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग मनूवर सफलतापूर्वक हो चुका है और अब 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत इतिहास रच देगा और ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफलता हासिल की है।
अमेरिका, रूस और चीन ने चांद की सतह पर सॉप्ट लैंडिंग कराने में सफलता हासिल की है लेकिन अभी तक चांद के दक्षिणी ध्रुव इलाके में किसी देश के स्पेसक्राफ्ट ने लैंडिंग नहीं की है। भारत अगर इसमें सफल हो जाता है तो वह यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन जाएगा। अमेरिका के सर्वेयर-1 ने 1966 में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। चीन के चांग-3 ने अपने पहले ही प्रयास में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। वहीं सोवियर संघ के लूना-9 ने भी सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग की थी।
भारत का चंद्रयान मिशन, जहां चांद की सतह पर उतरने की तैयारी कर रहा है, वहीं रूस का लूना-25 मिशन भी चांद की सतह पर लैंडिंग की कतार में है। लूना-25 को 21 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग करनी है। हालांकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि रूसी मिशन में तकनीकी दिक्कत आ गई है, जिसकी वजह से इसकी चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में दिक्कतें आ सकती हैं।
चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यही वजह है कि चंद्रयान 3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा। 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर देगा। लैंडर मॉड्यूल के लैंडिंग से पहले इसकी आंतरिक जांच की जाएगी। इसके बाद जैसे ही 23 अगस्त को चांद पर सूरज निकलेगा, वैसे ही चांद की सतह पर लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।