मणिपुर अग्निशमन सेवा के उपाधिकारी ऋषिकांत ने कहा कि कल हमें आग लगने की सूचना मिली। हम घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन ज्यादा भीड़ के कारण आग पर काबू नहीं पा सके। हमने भीड़ को हटाने की कोशिश की ताकि हम आग को बुझा सकें।
मणिपुर में करीब 20 दिन की शांति के बाद एक बार फिर से सोमवार को हिंसक घटनाएं हुईं। भारतीय सेना ने कहा कि मणिपुर में साम्प्रदायिक भावनाओं को भड़कने से रोकने के उद्देश्य से सेना के जवान घटनास्थल पर मौजूद थे। सेना के जवानों ने इस घटना पर कार्रवाई करते हुए भीड़ को रोक रहे थे और आग बुझाने के लिए अग्निशमन सेवा की मांग की थी। जब अग्निशमन सेवा घटनास्थल पर पहुंची तो सेना के इस आश्वासन के बावजूद कि अग्निशमन कर्मियों या उपकरणों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा, वे आगे बढ़ने से हिचक रहे थे, इस दौरान भीड़ उनके आसपास थी। इन्हीं परिस्थितियों में सेना के जवानों ने स्वयं कमान संभालते हुए आग पर काबू पाया।
मणिपुर अग्निशमन सेवा के उपाधिकारी ऋषिकांत ने कहा कि कल हमें आग लगने की सूचना मिली। हम घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन ज्यादा भीड़ के कारण आग पर काबू नहीं पा सके। हमने भीड़ को हटाने की कोशिश की ताकि हम आग को बुझा सकें। अचानक वहां 16 जाट रेजीमेंट की एक गाड़ी पहुंची और हमसे आग बुझाने के लिए कहा। हमने उनसे समर्थन देने का अनुरोध किया। उन्होंने हम पर हमला करना शुरू कर दिया। उस प्रक्रिया के दौरान हमारे कुछ अधिकारी घायल हुए हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि 16 जाट रेजीमेंट के उच्च अधिकारी आवश्यक कार्रवाई करेंगे।
उन्होंने बड़ी संख्या में घरों को नष्ट होने से रोका और आग को शहर के अन्य हिस्सों में भी फैलने से रोका। इस घटना में सेना के जवानों का निष्पक्ष और गैर-पक्षपातपूर्ण निर्णय इस तथ्य से पैदा होता है कि किसी भी फायर टेंडर कर्मियों या उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। सेना और असम राइफल्स मणिपुर में शांति और सद्भाव की वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है।