प्रदर्शनी में राज्यों, केंद्र-शासित प्रदेशों और शहरी योजना निर्माण के हितधारकों की परियोजनाएं प्रदर्शित
पूजा श्रीवास्तव
हरदीप एस पुरी ने कहा कि शहरी योजना निर्माण सुधारों को लागू करने से हमारे शहर निवेश के लिए आकर्षक केंद्र बन रहे हैं। सुधारों को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये के आवंटन किया है। यें बातें राष्ट्रीय शहरी निर्माण कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए केंद्र सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप एस पुरी ने विज्ञान भवन नई दिल्ली में कही।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों- 1. भवन निर्माण उपनियमों का आधुनिकीकरण 2. परिवर्तन-उन्मुख विकास 3. हस्तांतरणीय विकास अधिकारों को अपनाना
4. प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से नीली और हरित अवसंरचना का एकीकरण 5. यथास्थान पुनर्वास के माध्यम से किफायती आवास; और 6. क्षमता निर्माण और भर्ती में वृद्धि से संबंधित सुधारों को प्रोत्साहित किया है और प्राथमिकता दी है। भारत का तीव्र शहरीकरण एक आर्थिक अवसर प्रस्तुत करता है।
उन्होंने सेवाओं तक समग्र पहुंच सुनिश्चित करने, प्रचालन क्षमता बढ़ाने, क्षेत्र-आधारित योजना निर्माण, डिजिटल प्रौद्योगिकी का समावेश, व्यवसाय करने में सुगमता और परिणाम-आधारित निष्पादन संरचनाओं के लिए एक समग्र नीति इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया।
उद्घाटन समारोह के दौरान, राज्य मंत्री कौशल किशोर ने ज्ञान और अनुभव साझा करने के जरिए इस मंच के माध्यम से विभिन्न महत्वपूर्ण मापदंडों पर सुधारों को लागू करने के लिए विभिन्न शहरों की तैयारी को लेकर विश्वास व्यक्त किया।
इसके अतिरिक्त, मनोज जोशी ने प्रभावी टाउनशिप योजना के लिए टीओडी/टीडीआर आधारित संकल्पनाओं, परिवहन और सड़क नेटवर्क और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कॉन्क्लेव के दौरान एक प्रदर्शनी आयोजित की गई जिसमें राज्यों, केंद्र-शासित प्रदेशों और शहरी योजना निर्माण शैक्षणिक संस्थानों ने विभिन्न शहरों में उनके द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं को प्रदर्शित किया। चेन्नई में परिवर्तन उन्मुखी विकास लागू करने, इंदौर और चेन्नई में स्थानीय क्षेत्र योजना का कार्यान्वयन, सूरत और पुणे में टाउन प्लानिंग योजना का कार्यान्वयन, जीरो वैली में पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ मास्टर प्लान दृष्टिकोण जैसी कुछ अच्छी कार्य योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। राज्यों की शहरी योजना निर्माण के अतिरिक्त, शैक्षणिक संस्थानों ने भी कुछ परियोजनाओं का प्रदर्शन किया, जिनमें सीईपीटी विश्वविद्यालय द्वारा जयपुर और गुवाहाटी के लिए स्थानीय क्षेत्र योजना और टाउन प्लानिंग योजना का निर्माण, कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और पुणे द्वारा महाबलेश्वर के लिए इको सेंसिटिव जोन योजना का निर्माण, आईआईटी खड़गपुर द्वारा शहरी पुनर्विकास और विरासत संरक्षण व विजयवाड़ा के स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर द्वारा लचीले और समावेशी समुदायों का निर्माण करना शामिल है।
इस दो दिवसीय कार्यशाला के विचार-विमर्श भारत के शहरी योजना निर्माण के भविष्य को आकार देंगे तथा समावेशी और टिकाऊ शहरी विकास को सुगम बनाने के लिए विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं और दूरदर्शी लोगों को एक मंच प्रदान करेंगे। यह राज्य सरकारों और केंद्र-शासित प्रदेशों को शहरी योजना निर्माण में अनुभवों को साझा करने और आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाएगा और इसके परिणामस्वरूप वे शहर में रहने वाले लोगों की बेहतरी के लिए शहरी योजना निर्माण सुधारों को लागू करने के लिए एक रूपरेखा तैयार कर सकते हैं।
दो दिवसीय सम्मेलन में कुल 24 प्रस्तुतियां होंगी जिनमें प्रमुख वक्ताओं के रूप में राज्य टीसीपी विभागों और शहरी विकास प्राधिकरणों के मुख्य नगर योजनाकार शामिल होंगे। शहरी योजना निर्माण क्षेत्र में अग्रणी शिक्षाविद 4 तकनीकी सत्रों का संचालन करेंगे, जिसमें प्रमुख वक्ता सम्मिलित होंगे, जो परिवर्तन उन्मुखी विकास, हस्तांतरणीय विकास अधिकार, स्थानीय क्षेत्र योजनाएं और नगर योजना निर्माण स्कीम, किफायती आवास, पर्यावरण की दृष्टि से सतत विकास (स्पंज शहर) एनसीआर योजना, 2041 और दिल्ली का मास्टर प्लान-2041 जैसे विषयों की विस्तृत श्रृंखला पर संबोधित करेंगे।
इस सम्मेलन में लगभग 1000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें राज्य शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव, मुख्य नगर योजनाकार राज्य टीसीपी विभाग, शहरी विकास प्राधिकरण और शहरी स्थानीय निकाय तथा प्रमुख अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों के प्रमुख शामिल थे। शहरी योजना निर्माण में काम करने वाले अन्य हितधारकों में जीआईजेड और जेआईसीए आदि शामिल थे।