लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में जिताऊ और टिकाऊ नेताओं की तलाश में जुटी भारतीय जनता पार्टी अपने ही दस साल पुराने नियम को बदलने जा रही है। भाजपा ने 75 साल की उम्र पूरी कर चुके कई नेताओं को मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतार दिया है। यूपी में भी इस बैरियर को हटाने की तैयारी है। क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कई बुजुर्ग नेता ताल ठोक रहे हैं। जबकि भाजपा ने ही तकरीबन एक दशक पूर्व 75 साल उम्र पूरी कर चुके नेताओं को सत्ता एवं संगठन से दूर रखने का नियम बनाया था। करीब दस साल बाद यह नियम अब दरकने लगा है। अपने खून पसीने से सींचकर भाजपा संगठन को खड़ा करने वाले कई नेताओं को 2014 के आम चुनाव में साइड कर दिया गया। कहा गया कि आप 75 साल के हो गए हैं इसलिए आपकों सत्ता एवं संगठन में अहम पद नहीं दिया जा सकता। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी सहित कई नेता किनारे हो गए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में नई भाजपा का जन्म हुआ। इसके बाद 2019 के चुनाव में भी 75 साल का बैरियर बरकरार रहा, अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया गया और न हीं संगठन में अहम पद। यूपी में हुए गत विधानसभा चुनाव में भी इस नियम का कड़ाई से पालन किया गया। इसी कारण कई दिग्गज चुनाव से दूर रहे। भाजपा संगठन में लंबे समय से कोषाध्यक्ष एवं सरकार में मंत्री रहे राजेश अग्रवाल को भी टिकट नहीं दिया गया। इसी तरह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को भी चुनाव नहीं लड़ाया गया। इसके अलावा पूर्व सहकारिता मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा सहित कई नेता पैदल हो गए। आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की धार को देख भाजपा हर हाल में केन्द्र में सरकार बनाना चाह रही है। इससे पूर्व मध्य प्रदेश , राजस्थान सहित पांच राज्यों के चुनाव हो रहे है। इस चुनाव में भाजपा ने जिताऊ और टिकाऊ नेताओं की तलाश की थी। भाजपा ने अपने ही बनाये नियम को दरकिनार करते हुए मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में कई ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जिनकी उम्र 75 साल से अधिक है। कहीं कही ंतो 80 साल के बुजुर्ग को भी चुनाव मैदान में उतार दिया है। इस तरह एमपी एवं राजस्थान में यह 75 प्लस का बैरियर तोड़ दिया गया है। चर्चा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को भी टिकट दिया जायेगा। यूपी से कई सांसद जो अब 75 साल के हो गए है इस भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे है। इन्हें पार्टी हाईकमान ने चुनाव लड़ने ही हरी झण्डी दे दी है। इसीलिए वह अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में जनसम्पर्क कर स्वयं के लिए वोट भी मांग रहे हैं। इसमें बरेली से संतोष गंगवार जो कई बार सांसद एवं केन्द्र में मंत्री रह चुके है। इसी तरह मथुरा से भाजपा नेत्री हेमा मालिनी, प्रयाग राज से डॉ रीता बहुगुणा जोशी, कानपुर से सत्यदेव पचौरी, डु़मरियागंज से जगदम्बिका पाल, मेरठ से राजेन्द्र अग्रवाल, फिरोजाबाद से चन्द्रसेना जादौन सहित कई नेता शमिल है। इन सभी नेता ओं की उम्र 75 साल से अधिक हो गयी है। भाजपा किसी बाहरी एजेंसी से अपने ही सांसदों का फीडबैक लिया है जिसमें दो दर्जन से अधिक नेताओं का रिपोर्ट कार्ड ठीक नहीं है जनता से इनसे नाराज है। इसमें भी पीलीभीत सांसद वरूण गांधी, कैसरगंज से बृजभूषण शरण सिंह आर बंदायू से संघ मित्रा मौर्या सहित कई नेता शामिल है। इस तरह भाजपा आगामी चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। जिताऊ एवं टिकाऊ प्रत्याशी के चक्कर में दागी, गुजुर्ग को भी टिकट देने में परहेज नहीं कर रही है।
क्योंकि पार्टी हर हाल में प्रधान मोदी को तीसरी बार पीएम बनाना चाह रही है। इसके लिए कददवार नेता होना चाहिए चाहे दागी हो या फिर 75 साल से अधिक उम्र का क्यों न हो।
भाजपा प्रवक्त ा हरीश चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि 75 प्लस नेताओं को मध्य प्रदेश और राजस्थान में टिकट दिया गया है। चर्चा यह है कि
यूपी में भी इसी नियम का पालन किया जाए। उन्होंने बताया कि इस तरह का कोई आदेश अभी नहीं आया है। साथ ही इसे लेकर यहां पर चचार्ओं का बाजार गर्म है। बहरहाल में यूपी में आधा दर्जन से अधिक बुजुर्ग नेता आगामी चुनाव के लिए जनता के बीच वोट मांग रहे है।