राकेश कुमार
लखनऊ। राहुल गांधी एक बार फिर जिस तरह अदानी समूह को घेरने में जुट गए हैं, उससे यही लगता है कि वह समझने को तैयार नहीं कि ऐसे मुद्दे भले ही खबरों का हिस्सा बन जाते हो, लेकिन उनसे कांग्रेस को कुछ हासिल नहीं होता। राहुल गांधी एक लंबे समय से यह साबित करने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं कि मोदी सरकार चंद उद्यमियों के लिए ही काम कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव के समय वह देशभर में घूम-घूम कर यह कह रहे थे कि मोदी सरकार ने राफेल विमान सौदे में एक विशेष कारोबारी को अनुचित लाभ पहुंचाया है। एक बार वह यहां तक का गए की इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी वही कह रहा है, जो वह कह रहे हैं। उन्हें अपनी इस गलत बयानी के लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगनी पड़ी। इससे उनकी अच्छी खासी किरकिरी हुई, लेकिन वह कोई सबक सिखने के लिए तैयार नहीं हुए। जब मोदी सरकार तीन नए कृषि कानून लाई तो राहुल गांधी इन कानूनो को अदानी अंबानी कानून की संज्ञा देकर किसानों को वर्ग लाने लगे, जबकि ऐसे कानून बनाने का वादा खुद कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किया था। जब अदानी समूह को लेकर अमेरिकी संस्था हिंनडन वर्ग की रिपोर्ट सामने आई तो राहुल गांधी नए सिरे से इस समूह और मोदी सरकार पर हमला करने में जुट गए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एक समिति ने हिडेनबर्ग के आरोपों की जांच करने के बाद यह पाया की पहली नजर में किसी तरह का फजीर्वाड़ा नहीं दिखता, फिर भी राहुल गांधी अदानी समूह और मोदी सरकार पर उल्टे सीधे आरोप लगाते रहे। अब वह कह रहे हैं कि जैसे कोई अपने घर में बल्ब जलाता है, अदानी की जेब में पैसा चला जाता है। पहले वह आरोप लगाया करते थे कि अदानी समूह ने 20000 करोड़ का घपला किया है। अब वह इस नतीजे पर पहुंच गए की घपले की राशि 32 हजार करोड रुपए है। पता नहीं वह ऐसे आंकड़े कहां से लाते हैं, लेकिन इसमें संदेह नहीं की कीचड़ उछालने की राजनीति कर रहे हैं । यदि उन्हें अदानी समूह से इतनी ही शिकायत है तो फिर वह कांग्रेस शासित राज्य सरकारों से यह क्यों नहीं कहते कि वह इस समूह से कोई संबंध न रखें? राहुल गांधी उद्यमियों को लांछित करने की जो राजनीति कर रहे हैं, वाम दलों की उद्यम विरोधी राजनीति को भी मात करने वाली है। वास्तव में उनकी राजनीति उद्यम शीलता को हतोत्साहित और कारोबारी को बेवजह बदनाम करने वाली है। दुर्भाग्य से कुछ और नेता भी यही काम कर रहे हैं। इसका पता उस मामले से चलता है जिसमें यह सामने आया कि तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अपनी एक कारोबारी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने और अडानी समूह को निशाना बनाने के इरादे से संसद में तमाम सवाल पूछे।