मायावती ने कहा कि बीएसपी के साथ-साथ ज्यादातर पार्टियां महिला आरक्षण बिल के पक्ष में अपना वोट देंगी। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार यह बिल पास हो जाएगा क्योंकि यह काफी समय से लंबित था। महिला आरक्षण को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। आज महिला आरक्षण से संबंधित नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लोकसभा में पेश कर दिया गया है। सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई। कैबिनेट की बैठक के बाद इसे मंजूरी दी गई थी। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस बिल का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने आबादी के हिसाब से आरक्षण को 33 से 50 फीसदी बढ़ाने की बात भी कही है। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि इसमें एससी, एसटी/ओबीसी कोटा भी सुनिश्चित होना चाहिए। मायावती ने कहा कि बीएसपी के साथ-साथ ज्यादातर पार्टियां महिला आरक्षण बिल के पक्ष में अपना वोट देंगी। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चर्चा के बाद इस बार यह बिल पास हो जाएगा क्योंकि यह काफी समय से लंबित था। मैंने पहले संसद में अपनी पार्टी की ओर से कहा था कि महिलाओं की आबादी को ध्यान में रखते हुए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को प्रस्तावित 33% के बजाय 50% आरक्षण मिले। मुझे उम्मीद है कि सरकार इस बारे में सोचेगी। उन्होंने कहा कि साथ ही महिला आरक्षण में ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं के लिए अलग कोटा सुनिश्चित किया जाए। आपको बता दें कि संविधान संशोधन विधेयक में लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि महिला आरक्षण विधेयक राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कानून निर्माण में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के इरादे से लाया गया है। इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण परिसीमन प्रक्रिया के बाद लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला बदली होगी। सरकार के मुताबिक भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य हासिल करने में महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। महिलाएं अलग-अलग दृष्टिकोण लाती हैं और विधायी बहस तथा निर्णय लेने की गुणवत्ता को समृद्ध करती हैं। सरकार ने कहा कि महिलाएं पंचायतों, नगर निकायों में महत्वपूर्ण रूप से भाग लेती हैं; राज्य विधानसभाओं, संसद में उनका प्रतिनिधित्व अब भी सीमित है।