तिरुवनंतपुरम। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत का मतलब देश की परंपराओं, संस्कृति, अतीत और उसके भविष्य से है। केंद्रीय मंत्री यहां प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के शुभारंभ पर बोल रहे थे, जिसका उद्देश्य कारीगरों एवं शिल्पकारों तथा पारंपरिक कौशल एवं व्यवसायों में लगे अन्य लोगों की मदद करना है। कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि कई देशों में वैश्वीकरण, औद्योगीकरण के कारण समय के साथ पारंपरिक कौशल और प्रतिभाएं लुप्त हो गईं, लोग अपनी परंपराओं को भूल गए और उन्हें अगली पीढ़ी तक नहीं पहुंचाया जा सका। भारत के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए जो सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और जिसकी पहचान यहां के लोगों की परंपराएं और संस्कृति है जो हजारों वर्षों के दौरान विरासत में मिली है। जयशंकर ने कहा, ह्यह्यआज हम यहां भारत की पहचान, विरासत और संस्कृति को मजबूत करने के लिए एकत्र हुए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमने हजारों वर्षों में जो प्राप्त किया है वह हजारों वर्षों तक आगे बढ़ाया जाता रहे।ह्णह्ण उन्होंने कहा, ह्यह्यइसलिए जब हम भारत की बात करते हैं, तो वह भारत यही है। भारत का मतलब हमारी परंपराओं, हमारी संस्कृति, हमारे अतीत और हमारे भविष्य से है।ह्णह्ण यह बयान ह्यइंडियाह्ण का नाम बदलकर भारत करने के भाजपा शासित केंद्र के कथित कदम पर देश में चल रही बहस के बीच महत्वपूर्ण है। कारीगर और शिल्पकार समुदाय के बारे में, जिन्हें उन्होंने विश्वकर्मा कहकर संबोधित किया, जयशंकर ने कहा कि ये वे हैं जो अपनी रचनात्मकता, विचारों और काम के माध्यम से ह्यह्यहमारे इतिहास में हमारी संस्कृति की छाप छोड़ते हैं। यह बहुत मूल्यवान है।