पटना। बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘शादी के बाद…’ वाले बयान को लेकर बुधवार को कार्यवाही लगभग ठप ही रही। शीतकालीन सत्र का अब दो ही दिन बचा है। गुरुवार को सरकार बढ़े आरक्षण पर मुहर का प्रयास करेगी। बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 पास हो गया है। विपक्ष में बैठी भाजपा ने भी इस बिल को अपना समर्थन दिया। हालांकि, भाजपा ने बिल पर चर्चा के वक्त ही इस बिल को सर्व सहमति से पास कराने की मांग थी। विधानसभा अध्यक्ष ने बिल के सभी खंड को पास कर दिया। इसके बाद बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच जमकर नोंकझोंक हो हुई। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जाति आधारित गणना और आरक्षण पर सवाल उठाया। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से सदन में भड़क गए। इसको कुछ आइडिया है। मेरी गलती थी, मेरी मूर्खता से यह मुख्यमंत्री बन गया। इसको कोई सेंस है। जब मुख्यमंत्री बनाए थे तो मेरी पार्टी के लोग हमको कहने लगे कि ई तो गड़बड़ है, इनको हटाइए। उन्होंने भाजपा से पूछा कि नारा लगा रहे हो, पूछो कि किसने मुख्यमंत्री बनाया। सीएम ने भाजपा नेताओं से कहा कि आप लोग इन्हें क्यों नहीं राज्यपाल बना देते हैं। इसलिए यह भाजपा के साथ गए। इसके बाद भाजपा विधायक हंगामा करने लगे। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि सदन में पूर्व दलित मुख्यमंत्री को बोलने दिया जाए। उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। सीएम फिर खड़े हो गए गुस्से में कहा कि मैंने ही इन्हे मुख्यमंत्री बनाया। अब यह राज्यपाल बनना चाहता है। विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि सभी दलों की सहमति से जाति आधारित गणना करवाया गया। हमलोग केंद्र सरकार के पास भी गए थे लेकिन केंद्र सरकार ने टाल दिया था। इसके बाद बिहार सरकार ने इसे करवाया। इसके बाद हमने जाति आधारित गणना करवाया। साथ ही सभी वर्ग, जाति के लोगों का आर्थिक सर्वे भी करवाया गया। सभी लोगों की राय से जब यह करवाया गया। इसके आधार पर आरक्षण बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अब तो एकजुट होकर यह आरक्षण विधेयक बिल पेश होना चाहिए। हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार भी आरक्षण का दायरा बढा दे। हमलोग चाहते हैं कि 65 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल लागू किया जाएग। सीएम नीतीश कुमार ने सदन में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी केंद्र सरकार से की। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि भाजपा इस विधेयक का समर्थन करती है। बिहार सरकार ने बताया कि महज 4 प्रतिशत लोग 50 हजार मासिक कमाते हैं। भाजपा की मांग है कि शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को इस आरक्षण बिल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि इसका लाभ भी एक खास वर्ग और जाति के लोग ले लें।