लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत तेजी से बदल रही है। अगले लोकसभा चुनाव में यहां किसका परचम लहरायेगा। इसके बारे में तो अभी से कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, लेकिन यहां एनडीए और आईएनडीआईए दोनों ही गठबंधन अपनी जड़े मजबूत करने में जुटे हैं.वैसे तो दोनों ही गठबंधनों का अपना-अपना वोट बैंक है, लेकिन इसको और मजबूत करने की कवायद भी जारी है। सबसे अधिक हलचल दलित वोटों को लेकर है। वेस्ट यूपी में यह धारणा आम होती जा रही है कि फिलहाल 2024 के आम चुनाव में बसपा कहीं दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में दलित वोटर जिस पार्टी की तरफ चल देंगे उसकी ताकत बढ़ जायेगी। दलित किधर जायेगा ? इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे हैं। परंतु पूर्वांचल में घोसी के उप विधान सभा चुनाव में जिस तरह से बसपा की गैर-मौजूदगी में दलित वोटरों ने आईएनडीआईए गठबंधन का दामन थामा है, वह काफी कुछ कहानी कह देता है। यहां से आईआईएनडीआईए गठबंधन ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार था और उसे शानदार जीत हासिल हुई थी। पूर्वांचल का ट्रेंड यदि पश्चिमी यूपी में भी चला तो आईएनडीआईए गठबंधन की बल्ले-बल्ले हो जायेगी।