मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है, जिसके नतीजे रविवार को घोषित किए जाएंगे। कांग्रेस ने लगभग दो दशकों तक भाजपा के शासन के दौरान सामने आए घोटालों के मुद्दे पर अभियान चलाया। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया है और स्थिर सरकार के लिए सबसे पुरानी पार्टी को स्पष्ट बहुमत देंगे। अगले दो दिनों में यानि कि 3 और 4 दिसंबर, 2023 – पांच राज्यों में राजनीतिक दलों के भाग्य का फैसला होगा। पांच राज्यों – राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे घोषित किए जाएंगे। मिजोरम के नतीजे 4 दिसंबर को आएंगे जबकि अन्य चार राज्यों में वोटों की अंतिम गिनती और नतीजों की घोषणा 3 दिसंबर को होगी। पार्टिया और उसके कार्यकतार्ओं का उत्साह चरम पर है। इन विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत लगाने वाले नेताओं और उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला रविवार को हो जाएगा। कुछ उम्मीदवारों को जीत मिलेगी तो कुछ को अगले 5 सालों के लिए और इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि, राजनीतिक दलों की बात करें तो सभी अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है, जिसके नतीजे रविवार को घोषित किए जाएंगे। कांग्रेस ने लगभग दो दशकों तक भाजपा के शासन के दौरान सामने आए ह्लघोटालोंह्व के मुद्दे पर अभियान चलाया। कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया है और स्थिर सरकार के लिए सबसे पुरानी पार्टी को स्पष्ट बहुमत देंगे। वहीं, बीजेपी का मानना ??है कि जनता ने डबल इंजन सरकार के विकास कार्यों के लिए वोट किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गई नकद योजना ‘लाडली बहना योजना’ के कारण भाजपा की उम्मीदें अधिक हैं। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीट के लिए वोटों की गिनती कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार (तीन दिसंबर) सुबह आठ बजे 52 जिला मुख्यालयों पर शुरू होगी। मध्यप्रदेश में 17 नवंबर को एक चरण में वोट डाले गए थे। राज्य में चुनावी मैदान में 2,533 उम्मीदवार हैं। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को मतों की गिनती होगी और प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है। राज्य में कांग्रेस सत्ता में वापसी करने का दावा कर रही है। पार्टी को विश्वास है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में पार्टी ने किसान, आदिवासी, और गरीबों के लिए काम किया है, जिसके दम पर एक बार फिर यहां कांग्रेस की सरकार बनेगी। वहीं 2003 से 2018 तक लगातार 15 वर्षों तक सत्ता में रही भाजपा को उम्मीद है कि राज्य की जनता एक बार फिर उन्हें मौका देगी। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि पर भरोसा जताया है तथा चुनाव प्रचार के दौरान बघेल सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया। राज्य विधानसभा के 90 सीटों के लिए सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। 1,181 उम्मीदवारों का फैसला रविवार को होगा। राजस्थान में 199 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान में वोटों की गिनती रविवार को की जाएगी। इन सीट पर कुल 1862 उम्मीदवार अपना चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। राज्य में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी में माना जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस चुनाव को राज (सरकार) और रिवाज बदलने की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। बीते कुछ दशकों में, परंपरागत रूप से राज्य में हर विधानसभा चुनाव में राज यानी सरकार बदल जाती है… एक बार कांग्रेस एक बार भाजपा। भाजपा को बाकी बातों के अलावा इस रिवाज से बड़ी उम्मीद है जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि इस बार यह रिवाज बदलेगा और दोबारा उसकी सरकार बनेगी। 30 नवंबर को आए चुनाव बाद के पूवार्नुमानों के बाद सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी, दोनों को सरकार बनाने की उम्मीद है। जहां अधिकांश एग्जिट पोल ने राज्य में भाजपा को बढ़त मिलने की भविष्यवाणी की है, तीन एग्जिट पोल ने कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की है।