शंभू सिंह
लखनऊ। किसी भी पर्व की सार्थकता तभी है, जब उसे स्वच्छ वातावरण में सादगी से मनाया जाए। इस उद्देश्य से ही नगर विकास विभाग ने स्वच्छ त्यौहार, स्वस्थ त्यौहार के रूप में विशेष अभियान शुरू किया है। वस्तुतह मंदिरों में उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए सफाई की जिम्मेदारी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अभियान सिर्फ कागजी ना रह जाए। इसके साथ ही दुर्गा पूजा पंडालों और रामलीला के आयोजन स्थलों पर भी साफ सफाई की समुचित इंतजाम किए जाने चाहिए। कहने में हिचक नहीं की इस तरह के आदेश हर साल ही नगर निगमों और नगर पालिकाओं को दिए जाते हैं। लेकिन गंदगी हर जगह बिखरी रहती है। इसलिए जरूरी है कि इस अभियान से मंदिरों के प्रबंधन तंत्र और दुर्गा पूजा समितियां को जोड़ा जाए। सफाई में अव्वल आने वाली ऐसी समितियां को पुरस्कृत करने की घोषणा कर उनमें प्रतिस्पर्धा भी रखी जा सकती है। सार्वजनिक स्थलों पर गंदगी के लिए दंड का प्राविधान है, इसकी चेतावनी भी लाउडस्पीकरों से दी जाए। स्वछता सिर्फ सरकार की ही नहीं जिम्मेदारी, श्रद्धालुओं को भी यह संकल्प लेना चाहिए। मंदिर और आसपास गंदगी नहीं फैलाएंगे। कोई अभियान कितना अधिक प्रेरक हो सकता है। इसका उदाहरण कुछ दिनों पर अटल बिहारी वाजपई इकाना स्टेडियम में आॅस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका विश्व कप मैच के दौरान देखने को मिला है। इस मैच के दौरान दर्शकों ने स्वच्छता बनाए रखने को अपना दायित्व माना। परिणाम स्वरूप यह जीरो वेस्ट इवेंट के रूप में परिवर्तित हो गया। स्टेडियम से एकत्रित लगभग 1980 किलो कचरे को अलग-अलग कर निस्तारण के लिए भेजा गया। जब तक कुड़ी का निस्तारण सुनियोजित नहीं होगा, तब तक स्वच्छता को पूर्ण नहीं माना जा सकता। अब मंदिरों के लिये स्वच्छता अभियान शुरू हुआ है तो सफाई कर्मियों को इसके लिए भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिए कि श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित की की गई पूजा सामग्री और कूड़ा कचरा को किस तरह अलग-अलग कर निस्तारण केंद्रों तक भेजा जाए। ॅँं९्रुंं िजैसे बड़ी आवादी वाले शहर इस तरह की प्रयोग में सफल है तो कोई कारण नहीं की हम ऐसा नहीं कर सकते। बस संकल्प हो ना चाहिए।