प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब परिवारों को लालच देकर मत्तांतरित करने के मामले पहले भी प्रकाश में आए हैं, लेकिन झांसी में जिस सुंयोजित ढंग से यह प्रयास चल रहा था , वह चिंता की बात है। मतांतरण के लिए पूरा नेटवर्क तैयार करना और सात सात सौ रुपए के मानदेय पर 40 युवतियों की नियुक्ति और उनके लिए मत अंतरण का लक्ष्य निर्धारित करके काम लेने से यह साबित होता है कि इसाई मिशनरिया कितने संगठित रूप से अपनी घृणित योजनाओं को अंजाम देने में जुटी हुई है। वहां की यूवतियों ने बताया कि उन्हें प्रशिक्षित करने के बाद छत्तीसगढ़ भेजने की योजना थी। अर्थात पूरे देश में ईसाई मिशनरियों ने नेटवर्क का जाल बना रखा है और इसका संचालन करने वालों को बाहर से फंडिंग भी हो रही है। इससे पहले बाराबंकी, फतेहपुर, पीलीभीत आदि कई जिलों में माथांतरण की घटनाएं हो चुकी हैं। फतेहपुर में तो प्रयागराज से संचालित एक शिक्षण संस्थान शउआटस सी जुड़ी लोगों का नाम भी आया था। इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी तथा यह तथ्य भी उजागर हुआ था की मत्तांतरण कराने में जुटे लोगों की फंडिंग भी विदेश से हो रही है। किसी को डरा धमका के या प्रलोभन देकर मत्तांतरित करनाअपराध है । प्रदेश में ईसाई मिशनरियां उन क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा रही हैं जो अनुसूचित जाति जनजाति बहुल क्षेत्र हैं और गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। वहां चंगाई सभा व प्रार्थना सभा आदि के जरिए लोगों को एकत्रित किया जाता है और तरह-तरह के लालच देकर मत्तांतरित कराने का प्रयास किया जाता है। झांसी में मातातरण के नेटवर्क में शामिल युवतियों ने इस बात को स्वीकार किया था। नौकरी के लालच में उन्होंने अपना धर्म परिवर्तित किया था। खुफिया इकाई को ऐसे क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ानी चाहिए, जहां ईसाई मिशनरियों की गतिविधियां अधिक दिखाई दे रही हो। इसके साथ ही हिंदू संगठनों के लिए भी यह बड़ी चुनौती है। हिंदू संगठन सनातन धर्मियों को उनके गौरवशाली अतीत का एहसास करायें। ऐसे क्षेत्रो में जाकर लोगों को जागरूक करना चाहिए कि विदेशी साजिश के तहत ईसाई मिशनरियों लोभऔर लालच दे रही है । उनके बहकावे में कोई ना आए।