सीबीआई ने धोखाधड़ी वाले गतिविधियों में संलिप्त 137 मुखौटा कंपनियों की पहचान की। इनमें से बड़ी संख्या में संस्थाएँ बैंगलोर में कंपनी रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत थीं। व्यापक स्तरीय जांच से इन कंपनियों के निदेशकों की पहचान हुई, जिनमें से अधिकांश बैंगलोर में स्थित थे। सीबीआई ने आॅपरेशन चक्र के तहत, भारतीय नागरिकों को निशाना बनाकर सैकड़ो करोड़ रु. से अधिक की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आॅनलाइन निवेश से संबन्धित धोखाधड़ी एवं सिंगापुर के नागरिकों को निशाना बनाकर साइबर सक्षम परनामधारण वाली धोखाधड़ी का खुलासा किया। आॅपरेशन चक्र-कक की कड़ी के तौर पर, सीबीआई ने साइबर-सक्षम वित्तीय अपराधों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी एवं दो अन्य मामलों में व्यापक सफलता हासिल की। पहला मामला: वर्ष 2022 में, गृह मंत्रालय के तहत भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र द्वारा दी गई सूचना सहित विभिन्न सूचनाओं के आधार पर, सीबीआई ने विदेशी घोटालेबाजों द्वारा निवेश, ऋण और नौकरी के अवसरों के नाम पर भारतीय नागरिकों पर किए जा रहे जटिल, संगठित साइबर अपराध के विरुद्द मामला दर्ज किया। धनराशि के इधर उधर होने के जटिल जाल का विस्तृत विश्लेषण करने के पश्चात, सीबीआई ने हाल ही में संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी की। जालसाजों ने कथित तौर पर पोंजी योजनाओं एवं बहु-स्तरीय विपणन पहलों के माध्यम से आकर्षक अंशकालिक नौकरियों के वादे के साथ पीड़ितों को लुभाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों एवं उनके विज्ञापन पोर्टलों, एन्क्रिप्टेड चैट एप्लिकेशन, एसएमएस का लाभ उठाया। पहचान को छुपाने के लिए, इन अपराधियों ने यूपीआई खातों, क्रिप्टो मुद्राओं व अंतरराष्ट्रीय धन हस्तांतरण से जुड़े बहुस्तरीय तरीके का प्रयोग किया। कथित तौर पर, जालसाज एक प्रसिद्ध सर्च इंजन के विज्ञापन उपकरण के साथ-साथ थोक एसएमएस भेजने के लिए किराए के हेडर का उपयोग कर रहे थे, जिससे धोखाधड़ी का तंत्र तैयार हो रहा था। पीड़ितों को उच्च मुनाफा वापसी की उम्मीद में यूपीआई खातों के माध्यम से धन जमा करने का लालच दिया गया। गलत तरीके से कमाए गए धन को यूपीआई खातों के एक जटिल नेटवर्क के माध्यम से धनशोधन किया गया, जो अंतत: फर्जी प्रमाण-पत्रों का उपयोग करके क्रिप्टो मुद्रा या सोने की खरीद में परिवर्तित हो गया। सीबीआई ने धोखाधड़ी वाले गतिविधियों में संलिप्त 137 मुखौटा कंपनियों की पहचान की। इनमें से बड़ी संख्या में संस्थाएँ बैंगलोर में कंपनी रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत थीं। व्यापक स्तरीय जांच से इन कंपनियों के निदेशकों की पहचान हुई, जिनमें से अधिकांश बैंगलोर में स्थित थे। इनमें से कुछ निदेशक बेंगलुरु स्थित एक भुगतान आधारित व्यापारी से भी जुड़े थे। यह व्यापारी, धोखाधड़ी के संचालन के केंद्र में, लगभग 16 अलग-अलग बैंक खातों को नियंत्रित करता था, जहां पर 357 करोड़ रु. (लगभग) की भारी मात्रा में धनराशि हस्तांतरित किया गया। फिर धोखाधड़ी को छुपाने के प्रयास में जानबूझकर धनराशि को विभिन्न खातों में भेजा गया।