नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लगभग 251 बच्चों द्वारा इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को चार सप्ताह के भीतर उनकी याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उन्नत स्तर वाले रोगियों द्वारा उनके आजीवन इलाज के लिए कई करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लगभग 251 बच्चों द्वारा इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को चार सप्ताह के भीतर उनकी याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (एमडी) आनुवांशिक बीमारियों के एक समूह को संदर्भित करता है जो कंकाल की मांसपेशियों की प्रगतिशील कमजोरी और गिरावट का कारण बनता है। ये विकार शुरूआत की उम्र, गंभीरता और प्रभावित मांसपेशियों के पैटर्न में भिन्न होते हैं। याचिकाकतार्ओं की ओर से पेश हुए वकील उत्सव बैंस ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को तीन श्रेणियों में वगीर्कृत किया गया है।