लखनऊ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रचारक संकठा प्रसाद के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने पूर्व प्रचारक व किसानों की समस्या पर अपने विचार रखे। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता हूं। मैं संघ के आदेश को कभी नहीं टालता। जब मुझे इस बात की सूचना दी गई कि ठाकुर संकठा प्रसाद के व्यक्तित्व पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन होना है तो मैं व्यस्तता के बावजूद आ गया।रक्षामंत्री आरएसएस के प्रचारक स्वर्गीय ठाकुर संकठा प्रसाद के जीवन पर आधारित पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ठाकुर संकठा प्रसाद अनुशासन के मामले में बेजोड़ हैं। पुस्तक का शीर्षक कर्मयोगी संकठा प्रसाद है लेकिन वह निष्काम कर्मयोगी थे। उनकी कड़क आवाज में भी अपनापन था। जो व्यक्ति मन का बड़ा होता है वह लोगों के दिल को जीत लेता है वह खुद भी आनंदित रहता है और लोगों को भी खुश रखता है।
संकठा प्रसाद छोटे मन के नही थे। बड़े मन का व्यक्ति आध्यात्मिक होता है। इसका मतलब यह नहीं कि वह मंदिर या धर्मस्थल पर जाए। ठाकुर साहब का मन बड़ा था। मैं कह सकता हूं कि संकठा जी का पुनर्जन्म नही होगा, उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा। उन्होंने राष्ट्रधर्म का पालन किया। वह संघ के स्वयंसेवक थे, किसान संघ में भी उन्होंने राष्ट्र के लिए काम किया। उन्होंने कहा था कि किसान खुशहाल होगा तो देश खुशहाल होगा। कृषि ऋण पर 14 से 18 फीसदी ब्याज 4 प्रतिशत करना चाहिए। यह उनका भी सुझाव था। किसान कॉल सेंटर भी उनके मार्गदर्शन से शुरू हुआ कराया गया था। मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि स्वर्गीय ठाकुर संकठा प्रसाद के बारे में सोचते है तो लगता है उनकी यह यात्रा इतनी सहज नहीं होगी लेकिन वह बहुत सरल और सहज व्यक्तित्व के धनी थे। कभी कठोर तो कभी नरम थे। नारियल की तरह बाहर से बहुत कठोर और अंदर से बहुत नरम थे। संघ से किसान संघ बनाने की राह में कितने कांटे उन्हें चुभे होंगे इसकी कल्पना की जा सकती है।