लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय के जन्तु विज्ञान विभाग, वनस्पति विज्ञान विभाग, रसायन विज्ञान विभाग एवम महाविद्यालय की संस्थान अन्वेषण समिति की संस्तुति पर एक्सपीरियोम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा हैंड्स ओन ट्रेनिंग वर्कशॉप इन मॉलिक्युलर बायोलॉजी पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम दिवस छात्राओं ने ई कोली बैक्टीरिया का कल्चर करना व किस तरह से प्लासमिड आइसोलेशन फेवरजेन प्लासमिड एक्सट्रैक्शन किट और सिलिका बेस्ड माइक्रोसेंट्रीफ्यूज व स्पिन कॉलम फॉर्मेट द्वारा प्लासमिड का आइसोलेशन करना और एग्रोज जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस का प्रयोग करके प्लैसमिड ( एक्स्ट्रा क्रोमोसोमल डीएनए) के बैंड को जेल पर दिखता कैसा है आदि का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण से छात्राओं ने डीएनए, आरएनए और प्लैसमिड जैसी जटिल विषय वस्तु को प्रत्यक्ष रूप से देखा और समझने का प्रयास किया क्योंकि विज्ञान विषय का ज्ञान प्रयोगात्मक होता है। कार्यशाला के दूसरे दिन विग्ना रेडियाटा (मूंग) की पत्तियों से आरएनए आइसोलेशन ट्राइजोल विधि द्वारा, जेल प्रिपरेशन,जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस आरएनए विजुलाइजेशन जेल के बारे में सीखा। प्रशिक्षण में महाविद्यालय के बी. एस . सी. प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष एवम् तृतीय वर्ष की छात्राओं ने बढ़ चढ़कर प्रतिभाग किया और उन्होने निरंतर इस प्रकार की कार्यशाला के आयोजन कराने की इच्छा भी जाहिर की।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय जी के मार्गदर्शन में कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि विज्ञान एक प्रयोगात्मक तार्किक तथ्यों का विषय है, और इस प्रकार की कार्यशाला से छात्राओं को जैव प्रौद्योगिकी की विभिन्न तकनीकों का अद्यतन ज्ञान प्राप्त करना उनके भविष्य के विभिन्न अवसरों के लिए मार्ग और प्रशस्त करेगा और उन्होंने विज्ञान संकाय को इस प्रकार की नियमित कार्यशाला आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।एक्सपीरियोम बायोटेक की डॉ स्वाती वैश्य सीनियर साइंटिस्ट ने जैव प्रौद्योगिकी के बढ़ते अवसर एवम विभिन्न तकनीकों के बारे में जानकारी साझा कर कार्यशाला की उपादेयता के बारे में बताया।
एक्सपीरियोम बायोटेक की ओर से वरिष्ठ वैज्ञानिक नूतन सिंह, कनिष्ठ वैज्ञानिक नमिता सिंह, शिवानी सिंह व प्रियांश अवस्थी के निर्देशन में कार्यशाला का सफल आयोजन हुआ। कार्यक्रम के सफल संचालन में जन्तु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान , रसायन विज्ञान के समस्त प्रवक्तागण एवम शिक्षणेत्तर सदस्यों का योगदान रहा।