नई दिल्ली। मामला पहली बार 30 अगस्त 2022 को सामने आया जब कतर की खुफिया एजेंसी ‘राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो’ ने आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को गिरफ्तार किया। 26 अक्तूबर 2023 को कतर के कोर्ट आॅफ फर्स्ट इंस्टांस द्वारा सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को सजा की मौत सुनाई थी। कतर की एक अदालत ने जासूसी के एक कथित मामले में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को बड़ी राहत दी है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को दी गई मौत की सजा को रोक दिया गया है। बता दें जासूसी के एक कथित मामले में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की अदालत ने अक्तूबर में मौत की सजा दी थी। दोहा स्थित दहरा ग्लोबल के सभी कर्मचारियों, भारतीय नागरिकों को अगस्त 2022 में हिरासत में ले लिया गया था। भारत ने पिछले महीने मौत की सजा के खिलाफ कतर स्थित अपीली अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आइये जानते हैं कि आखिर किस मामले में पूर्व नौसैनिकों की सजा रोकी गई है? कौन हैं ये पूर्व नौसेनिक? यह मामला कितना पुराना है? अब तक क्या-क्या हुआ? आगे क्या हो सकता है? समझते हैं… 26 अक्तूबर को कतर की राजधानी दोहा में अल दहरा कंपनी के आठ सेवानिवृत्त भारतीय कर्मचारियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। यह फैसला कतर के कोर्ट आॅफ फर्स्ट इंस्टांस द्वारा सुनाया गया था। इन सभी पर पनडुब्बी कार्यक्रम पर कथित रूप से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेवानिवृत होने के बाद ये सभी नौसैनिक कतर की निजी कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी एवं कंसल्टेंसीज सर्विसेज में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतरी एमिरी नौसेना को ट्रेनिंग और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। कंपनी खुद को कतर रक्षा, सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसी की स्थानीय भागीदार बताती है। इन पूर्व नौसेना अधिकारियों में कुछ अत्यधिक सम्मानित कर्मी शामिल हैं, जिन्होंने कभी भारतीय युद्धपोतों की कमान संभाली थी। इनमें से कई अधिकारी भारतीय नौसेना से कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए।