मुंबई। उद्धव गुट ने याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान शिंदे सेना के विधायकों की सदस्यता निलंबित करने की भी मांग की है। स्पीकर का आदेश स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और विकृत है और उन्होंने दसवीं अनुसूची को उल्टा कर दिया है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिव सेना गुट ने महाराष्ट्र अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘असली शिव सेना’ के रूप में मान्यता दी गई थी। शिवसेना ने स्पीकर के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने और शिंदे गुट के विधायकों को महाराष्ट्र विधानसभा में भाग लेने से रोकने के लिए अंतरिम राहत की मांग की है। उद्धव गुट ने याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान शिंदे सेना के विधायकों की सदस्यता निलंबित करने की भी मांग की है। शिवसेना (यूबीटी) के अनुसार, स्पीकर का आदेश स्पष्ट रूप से गैरकानूनी और विकृत है और उन्होंने दसवीं अनुसूची को उल्टा कर दिया है। संविधान की दसवीं अनुसूची को आमतौर पर ‘दलबदल विरोधी कानून’ के रूप में जाना जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि निर्वाचित प्रतिनिधि व्यक्तिगत लाभ के लिए राजनीतिक दलों को नहीं बदलते हैं। याचिका में कहा गया कि स्पीकर का यह निष्कर्ष कि नेतृत्व संरचना शिवसेना पार्टी के संविधान के अनुरूप नहीं है, पूरी तरह से गलत है। 10 जनवरी को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि उनके नेतृत्व वाला शिवसेना गुट वैध था क्योंकि उन्हें पार्टी के बहुमत विधायकों का समर्थन प्राप्त था।